अमनजोत कौर पहले ही मैच में बनीं स्टार (BCCI- screenshot)
मुख्य बातें
- कौन हैं अमनजोत कौर?
- पहले ही मैच में मचाया धमाल
- जीत के बाद अपने जीवन का संघर्ष बयां किया
Who is Amanjot Kaur: भारत के लिए पदार्पण करते हुए नाबाद 41 रन की पारी अमनजोत कौर को ‘अवास्तविक’ सी लगती है और पंजाब की इस युवा ऑलराउंडर ने इस पारी के बाद अपने पिता भूपिंदर सिंह तथा कोच नागेश गुप्ता के बलिदान को याद किया। बढ़ई सह कांट्रैक्टर भूपिंदर ने अमनजोत को क्रिकेट अकादमी में भेजा और उन्हें अपना काम आधा करना पड़ा जिससे कि यह सुनिश्चित हो सके कि उनकी बेटी की ट्रेनिंग बाधित नहीं हो।
अमनजोत के बल्लेबाजी कौशल को निखारने वाले गुप्ता ने कुछ कड़े फैसले किए। उन्होंने अमनजोत को चंडीगढ़ की कप्तानी छोड़कर सितारों से सजी पंजाब की टीम से दोबारा जुड़ने को कहा और यह फैसला काम कर गया और इस युवा खिलाड़ी को भारतीय टीम में जगह मिली।
महिला टी20 त्रिकोणीय श्रृंखला के पहले मैच में शुक्रवार को यहां दक्षिण अफ्रीका पर भारत को 27 रन की जीत दिलाने के बाद अमनजोत ने कहा, ‘‘यह अवास्तविक सा अहसास है। मैंने अपने पदार्पण मुकाबले में मैच की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार पाने के बारे में कभी नहीं सोचा था। मैंने कभी इसकी उम्मीद नहीं की थी।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता ने मेरे करियर में बड़ी भूमिका निभाई। शुरुआत में उन्होंने सोचा था कि यह दौर गुजर जाएगा और धीरे धीरे क्रिकेट में मेरी रुचि कम हो जाएगी। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि मैं भारत के लिए खेलूंगी। मैंने क्रिकेट में खुद को साबित करने के लिए कड़ी मेहनत की।’’
🗣️🗣️My father has played a big role in my development. His struggles are a lot more than mine. Had he not made the… t.co/Y8VsY04RxT
— ANI (@ANI) Jan 20, 2023
भूपिंदर ने इसके बाद बाहर काम लेना बंद कर दिया और मोहाली में अपने घर के पास ही काम किया जिससे कि उन्हें अमनजोत के साथ उनकी अकादमी में जाने का समय मिल सके। अमनजोत ने कहा, ‘‘उनका (पिताजी का) संघर्ष मेरे से बहुत बड़ा है, उन्होंने अपना आधा काम मेरे लिए छोड़ दिया जिससे कि मैं अकादमी जाने से वंचित नहीं रहूं, वह सुबह और शाम को मुझे अकादमी लेकर जाते। उन्होंने अपना आधा काम छोड़ दिया और हमारे घर के पास ही रहे।’’
अमनजोत ने कहा कि ‘नागेश सर’ के पास जाना उनके करियर का निर्णायक पल रहा। उन्होंने पदार्पण मैच में अपने प्रदर्शन को अपने कोच को समर्पित करते हुए कहा, ‘‘मैंने सारी सफलता नागेश सर (गुप्ता) के माध्यम से ही हासिल की है। उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई। मैंने एक गेंदबाज के रूप में शुरुआत की और अब एक बल्लेबाजी ऑलराउंडर के रूप में गिना जाना मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि है।’’
अमनजोत ने अपने करियर की शुरुआत पंजाब से की, फिर चंडीगढ़ आ गईं, जहां उनके करियर ने ‘टर्निंग पॉइंट’ लिया। उन्होंने इसके बाद पंजाब वापस लौटने को लेकर साहसिक कदम उठाया। अमनजोत ने कहा, ‘‘यह एक बड़ा फैसला था क्योंकि मैं तान्या (भाटिया) जैसे सीनियर खिलाड़ियों के नेतृत्व में और अधिक प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलना चाहती थी। यह एक कठिन यात्रा रही है। इस यात्रा के आगे भी जारी रहने की उम्मीद है।’’
अमनजोत शुरुआती मैच के लिए पहली पसंद नहीं थे लेकिन कप्तान हरमनप्रीत कौर के अलावा रेणुका सिंह और शिखा पांडे जैसी महत्वपूर्ण खिलाड़ियों के बीमार होने के कारण उन्हें मौका मिला। उनकी बीमारी के बारे में पूछे जाने पर अमनजोत ने कहा कि उन्हें ‘एलर्जी’ हो गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘जिस स्थान पर हम रह रहे हैं वह एक वन क्षेत्र है, जो समुद्र तटों से घिरा हुआ है। हमारा रोग प्रतिरक्षा तंत्र काफी मजबूत नहीं है इसलिए उन्हें बुखार, खांसी, कमजोरी आदि जैसी कुछ एलर्जी हो गई हैं।’’
अमनजोत अगले महीने होने वाली पहली महिला आईपीएल खिलाड़ी नीलामी में सभी का ध्यान अपनी ओर खींच सकती हैं। उन्होंने समझदारी दिखाते हुए भारत के लिए पदार्पण करने से पहले खुद को पंजीकृत नहीं किया है। अमनजोत ने कहा, ‘‘मैंने पंजीकरण नहीं किया है क्योंकि मैं श्रेणी के बारे में निश्चित नहीं थी। अब मैं निश्चित रूप से फॉर्म भर सकती हूं (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों की सूची में)। उम्मीद है कि कोई टीम मुझे चुनेगी। मैं बस अधिक से अधिक मैच खेलना चाहती हूं और अपनी टीम के लिए योगदान देना चाहती हूं।’’